शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009

अवसरों की उपेक्षा न करें





अपने युग की इस प्रवृत्ति को आप तब तक नहीं पहचान सकते, जब तक कि आप अपने दिमाग को खुला नहीं रखेंगे। किसी को भी कभी भी यह समझने की भूल नहीं करनी चाहिए कि वह सब कुछ जानता है और अब उसे कुछ भी जानने की जरूरत नहीं है । मैं नहीं समझता कि इससे भी बड़ी नासमझी की कोई अन्य बात हो सकती है । क्या आप किसी की इतनी बड़ी नासमझी पर इतनी आसानी से यकीन कर सकेंगे? शायद नहीं। दुनिया में ऐसे कितने शख्स होंगे, जिनको बिल गेट्स को सुनने का अवसर मिल सका होगा और भविष्य में भी मिल सकेगा। क्या इस अमूल्य अवसर की कीमत एक थोड़े से बेहतर किस्म की जर्सी से भी कम है।  
आज हम सब जिस दुनिया में रह रहे हैं, वह इस मायने में अब तक की सबसे अद्भुत दुनिया है कि अब विचार ही सबसे बड़ी संपत्ति बन गई है। स्वयं बिल गेट्स ने अपनी सफलता का राज बताते हुए कहा था-
'अपने युग की प्रवृत्ति को पहचानना ही मेरी सफलता का रहस्य है।'  
रघुवीर सहाय फिराक गोरखपुरी कहा करते थे कि कुछ लोग आने वाली पीढ़ियों के सामने यह कहकर गर्व महसूस करेंगे कि 'हमने फिराक को देखा था।' मैं समझता हूँ कि निश्चित रूप से वर्तमान के कुछ लोग भविष्य की पीढ़ियों के सामने यह बताकर गर्व महसूस करेंगे कि 'हमने बिल गेट्स को देखा और सुना है।'  
मित्रों, वैसे तो बिल गेट्स को या दुनिया के किसी भी महान से महान और लोकप्रिय से लोकप्रिय व्यक्ति को आज आप रेडियो पर सुन सकते हैं और टीवी पर देख सकते हैं। लेकिन जब हम इन्हीं को प्रत्यक्ष रूप से अपने सामने देखते हैं, तो उसका महत्व लाख गुना बढ़ जाता है। अन्यथा शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय को नृत्य करते हुए तो आप फिल्म और टीवी के पर्दे पर तो देखते ही हैं। तो आखिर ऐसा कौन-सा कारण होता है कि मंच पर देखने के लिए लोग हजारों रु. खर्च करके मीलों लंबी यात्रा करते हुए तकलीफ उठाकर आते हैं?  
कारण साफ है कि जब वह व्यक्ति, एक ऐसा व्यक्ति जो हमारी चेतना और अवचेतन में गहरे रूप से बसा है, उसे सामने पाकर मन खुशी से नहीं बल्कि आह्लाद से झूम उठता है। चूँकि मुझे खुद इसका बहुत बड़ा अनुभव है, इसलिए मैं इस बात को पूरे दावे के साथ कह सकता हूँ। लगभग पन्द्रह साल पहले मैं दुनिया के जिन महान लोगों से मिला था, आज उनकी स्मृति और अपने लेखन में बार-बार उनका उल्लेख करना मेरी सबसे बड़ी पूँजी बन गई है। माइक्रोसॉफ्ट की जर्सी लेकर बिल गेट्स को बिना सुने लौट जाने वाले इन लोगों ने अपनी छोटी-सी लापरवाही और बेवकूफी के कारण अपनी जिंदगी की एक बहुत बड़ी पूँजी को हमेशा-हमेशा के लिए गँवा दिया है। मैं जानता हूँ कि उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं होगा। लेकिन दोस्तों, मुझे इसका बहुत बड़ा अफसोस है। इसीलिए तो मैं इस विषय पर लिख रहा हूँ, ताकि जब कभी आपके सामने ऐसे मौके आएँ तो आप इसे पकड़ने से चूके नहीं। दुनिया में तीन तरह के लोग होते हैं। पहले तो वे होते हैं, जो अपने युग की प्रवृत्तियों को कभी भी नहीं पहचान पाते। जो कुछ जैसा चल रहा है, वैसा ही चलता रहे, यह इनका दृष्टिकोण होता है। दूसरे, वे लोग होते हैं, जो अपने युग की प्रवृत्तियों को उसी समय समझ जाते हैं, जिस समय वह प्रवृत्ति मौजूद रहती है। बिल गेट्स इसी श्रेणी में हैं। सन् 1970 के आसपास वे समझ गए थे कि कम्प्यूटर के युग में सॉप्टवेयर की क्या अहमियत होगी और बस, इसी को उन्होंने पकड़ लिया और आज वे जो कुछ भी हैं इसी की बदौलत हैं। तीसरी श्रेणी में वे लोग होते हैं, जो युग की प्रवृत्ति को युग से बहुत पहले ही पकड़ लेते हैं। मैं धीरूभाई अंबानी जैसे लोगों को इसी श्रेणी में मानता हूँ। मित्रों, दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है, इतनी तेजी से कि इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। आगे इसकी तेजी की रफ्तार और बढ़ने वाली है। ऐसे समय में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि हम अपने सोचने-समझने की ताकत को और अपनी दूरदृष्टि को इतना अधिक गतिमान करें कि उसका तालमेल इस बदलती हुई दुनिया की गति के साथ ठीक-ठाक बैठ सके। यदि आप ऐसा नहीं कर पाएँगे, तो निश्चित जानिए कि आप पिछड़ जाएँगे। आपकी परंपरागत सोच, तकनीक का पिछड़ापन और ढीली-ढाली जीवन पद्धति आपको सुकून की जिंदगी तो दे सकती है,लेकिन सफलता की जिंदगी नहीं और जब हम बिल गेट्स जैसे लोगों को अपने सामने खड़े होकर व्याख्यान देते हुए देखते हैं, तो इससे हमारे विचारों को एक नई दिशा और नई गति मिलती है और यह नई दिशा और नई गति हमारी जिंदगी को बदलने में अपना अहम् रोल निभाती है। आपको ऐसे अवसरों की उपेक्षा भूलकर भी नहीं करनी चाहिए।

2 टिप्‍पणियां:

  1. यहां पर आपको देखकर वाकई हर्ष हुआ। आपके लेख तो जहां पर भी पढ़ता हूं, सदा अच्‍छे लगते हैं। वैसे हम मिल चुके हैं कई बार। आपको स्‍मरण तो होगा।

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