शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

समस्याएं मूलत: हमारी इच्छाएं हैं

मैं आज आपसे समस्याओं के संबंध में कुछ बातें करने जा रहा हूं, यह जानते हुए भी कि हो सकता है कि आज की यह बातचीत आपकी समस्याओं को और भी बढ़ा तथा उलझा दे।

यदि ऐसा है भी, तो मैं आपको विश्वास दिलाना चाहूंगा कि यदि आप मेरी इन बातों पर थोड़ा गौर फरमाकर उन पर कुछ लंबे वक्त तक सोच-विचार करेंगे, तो आपको अपनी ढेर सारी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा। तो आइए, देखते हैं कि वे कुछ मुख्य बातें क्या हैं- 

1. जिन्हें हम समस्या समझते हैं, वे समस्याएं होती ही नहीं हैं, वे मूलत: हमारी इच्छाएं होती हैं।

2. यदि कुछ समस्याएं होती भी हैं, तो वे दूसरों के कारण नहीं होतीं। उन समस्याओं के कारण हम खुद ही होते हैं।

3. अधिकांश लोग समस्याओं को सुलझाना नहीं चाहते, क्योंकि उन्हें उसके साथ जीने की आदत पड़ जाती है।

4. कोई भी समस्या ऐसी नहीं होती, जिसका समाधान न हो, बशर्ते हम उसे सुलझाना चाहें। अधिकांश लोग उसे सुलझाने के बजाय सुलझाते हुए केवल दिखना चाहते हैं।
5. मुश्किल यह भी है कि कुछ लोग इन्हें सुलझाना तो दूसरों के जरिए चाहते हैं, लेकिन चाहते हैं कि उसे उनके ही तरीके से सुलझाया जाए। वे यह भूल जाते हैं कि यदि उसे उनके ही तरीके से सुलझाया जा सकता होता, तो उन्होंने खुद ही सुलझा लिया होता।
6. हमारी जिंदगी की एक बड़ी समस्या है कि हम समस्यारहित जीवन की उम्मीद करते हैं, जो संभव ही नहीं है, क्योंकि जीवन के होने का आभास और प्रमाण ही यह है कि समस्याएं हैं।
7. लोग जब समस्याओं को सुलझाते हैं, तो उन्हें इस तरह सुलझाते हैं कि समस्या तो सुलझ जाती है, लेकिन इसके बदले में वह कई नई समस्याएं पैदा कर जाती है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब। कहते हैं कि-

    तुमको खुले मिलेंगे तरक्की के रास्ते।
    पहला कदम उठओ लेकिन यकीन से।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. i've been mesmerized by agrawal sir's intellectual capacity and outlook ever since i came to know about him. his website and blog have further given me the chance to know more about his views and thoughts.
    thank you sir.
    and as always......... your articles have been spectacular and thought provoking.

    yours,
    vinay mishra
    vny.m@indiatimes.com

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