आप सभी को विजय अग्रवाल का सादर नमस्कार। आज ‘‘मंथन के मोती’’ में मैं कुछ ऐसे सुन्दर और महँगे मोती लेकर आया हूँ, जिनके बारे में जानकर आप गदगद हो उठेंगे। ये वे मोती हैं, जो आपके अन्दर कुछ भी कर गुजरने का उत्साह पैदा कर देंगे।
जब कभी हम किसी भी क्षेत्र के सफल और महान लोगों को देखते हैं, तो हमारी गर्दन श्रद्धा से झुक जाती है। हम उनकी प्रशंसा करते हैं और कहीं-न-कहीं हमारे मन में भी यह भाव उठता है कि काश! हमारे साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ होता। जी हाँ, हमारे साथ भी ऐसा हो सकता है बशर्ते कि हम इसके लिए जी-जान से जुट जाएँ।
इस दुनिया में ऐसी कोई चीज़ नहीं है, जो यदि की जा सकती है, तो उसे आप नहीं कर सकते। यदि कोई दूसरा कर सकता है, तो निश्चित रूप से आप भी कर सकते हैं। और जिन लोगों ने भी यह सब कुछ किया है, वे भी पहले ऐसे कुछ नहीं थे, जिन्हें देखकर उस समय के लोग यह अनुमान लगा सकते थे कि वे ऐसा कर गुजरेंगे। वह तो बस उनमें एक जोश था, एक उत्साह था जिसकी डोर पकड़कर वे लगतार ऊपर की ओर चढ़ते चले गए। ये न तो धनी परिवारों में पैदा हुए थे, न ही इन पूतों के पाँव ऐसे थे, जो पालने में दिखाई देते हों। इनके साथ न तो कोई चमत्कार हुआ और न ही किसी ने सफलताओं का ताज सीधे-सीधे इनके सिर पर रख दिया। इसके बावजूद इन्होंने अपने जीवन में जिन ऊँचाइयों को छुआ, वे अविश्वसनीय-सी लगती हैं।आइए, तो सबसे पहले हम अलग-अलग क्षेत्रों में सफल हुए कुछ ऐसे ही महान लोगों के नाम जानें-
जब कभी हम किसी भी क्षेत्र के सफल और महान लोगों को देखते हैं, तो हमारी गर्दन श्रद्धा से झुक जाती है। हम उनकी प्रशंसा करते हैं और कहीं-न-कहीं हमारे मन में भी यह भाव उठता है कि काश! हमारे साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ होता। जी हाँ, हमारे साथ भी ऐसा हो सकता है बशर्ते कि हम इसके लिए जी-जान से जुट जाएँ।
इस दुनिया में ऐसी कोई चीज़ नहीं है, जो यदि की जा सकती है, तो उसे आप नहीं कर सकते। यदि कोई दूसरा कर सकता है, तो निश्चित रूप से आप भी कर सकते हैं। और जिन लोगों ने भी यह सब कुछ किया है, वे भी पहले ऐसे कुछ नहीं थे, जिन्हें देखकर उस समय के लोग यह अनुमान लगा सकते थे कि वे ऐसा कर गुजरेंगे। वह तो बस उनमें एक जोश था, एक उत्साह था जिसकी डोर पकड़कर वे लगतार ऊपर की ओर चढ़ते चले गए। ये न तो धनी परिवारों में पैदा हुए थे, न ही इन पूतों के पाँव ऐसे थे, जो पालने में दिखाई देते हों। इनके साथ न तो कोई चमत्कार हुआ और न ही किसी ने सफलताओं का ताज सीधे-सीधे इनके सिर पर रख दिया। इसके बावजूद इन्होंने अपने जीवन में जिन ऊँचाइयों को छुआ, वे अविश्वसनीय-सी लगती हैं।आइए, तो सबसे पहले हम अलग-अलग क्षेत्रों में सफल हुए कुछ ऐसे ही महान लोगों के नाम जानें-
1 महान वैज्ञानिक थाम अल्वा एडीसन ने बारह साल की उम्र में सिर पर टोकरी रखकर सब्जियाँ बेचीं और फिर ट्रेन में न्यूज पेपर बेचा।
2 एक समय दुनिया के सबसे धनी कहे जाने वाले व्यक्ति एण्ड्र्यू कारनेगी ने चार डालर प्रतिमाह से काम शुरू किया था। जान डी रॉक फेलर की कमाई कारनेगी से दो डालर प्रति सप्ताह अधिक थी।
3 अमेरीका के महान राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन एक केबिन में पैदा हुए थे।
4 महानतम् दार्शनिक और वक्ता डेमोस्थनिज हकलाते थे। जब उन्होंने पहली बार सार्वजनिक रूप से भाषण देने की कोशिश की, तो लोगों ने उनकी हँसी उड़ाकर उन्हें मंच से भगा दिया था।
5 रोम का महान शासक जूलियस सीजर मिर्गी के शिकार थे।
6 फ्रांस के सम्राट नेपोलियन के माता-पिता गरीब थे और मिलिट्री अकादमी में 65 लोगों की कक्षा में उनका स्थान 46वाँ था।
7 अपने संगीत की धुनों से श्रोताओं को सिसकियाँ लेने के लिए मजबूर कर देने वाले महान संगीतकार विथोविन बहरे थे।
8 महान लेखक चाल्र्स डिकेन्स लंगड़े थे।
9 महान कवि होमर अंधे थे और प्लूटो कुबड़े।
10 आप जानते ही हैं कि अष्टवक्र का शरीर आठ जगहों से टेढ़ा था और महान कवि सूरदार अंधे थे।
इन लोगों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन्होंने अपने शरीर को कभी भी अपनी सीमा बनने नहीं दिया। इन लोगों ने अपनी आत्मशक्ति का इतना अधिक विस्तार किया, उसे इतना अधिक ऊँचा उठाया कि शरीर उनके सामने बौना पड़ गया। शायद ऐसे लोगों को ही देखकर किसी शायर ने ये पंक्तियाँ लिखीं होंगी-
खुद ही को कर बुलन्द कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से यह पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
इसी धरती पर कई लोगों ने अपनी जीजीविषा के जरिए यह सिद्ध करके दिखाया है कि यदि इच्छाशक्ति प्रबल हो, तो किसी भी सफलता को पाया जा सकता है। इन सभी लोगों के पास इस बात का बहाना बनाने के पर्याप्त कारण थे कि मैं यह काम कर ही नहीं सकता, क्योंकि मैं स्वस्थ नहीं हूँ। इसके विपरीत इन्होंने हमेशा यही सोचा कि ‘‘मैं कुछ भी कर सकता हूँ, क्योंकि मैं मानव हूँ।’’
मुझे लगता है कि हमें इस बात पर विश्वास करना ही चाहिए कि यदि ईश्वर हमारे लिए एक दरवाजा बन्द करता है, तो सैकड़ों अन्य दरवाजे खोल भी देता है। हमसे चूक यह हो जाती है कि उस एक दरवाजे के बंद हो जाने के कारण हमारी आँखें भर आती हैं और वे उन सैकड़ों खुले हुए दरवाजों को देख नहीं पातीं, जो हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं।
तो आइए, इस मंत्र को आत्मसात करके अपनी चेतना में अंकित कर लें कि ‘मैं कुछ भी कर सकता हूँ, क्योंकि मैं अमृत-संतान हूँ।’’‘‘मंथन के मोती’’ में आपसे फिर भेंट होगी। तब तक के लिए आज्ञा दें। नमस्कार।
नोट- डॉ॰ विजय अग्रवाल के द्वारा दिया गया यह वक्तव्य जी न्यूज़ पर प्रतिदिन सुबह प्रसारित होने कार्यक्रम 'मंथन'में दिया गया था। उनका यह कार्यक्रम अत्यंत लोकप्रिय है।
विजय अग्रवाल जी,
जवाब देंहटाएंआपके ये लेख हिन्दी-जगत के लिये बहुत उपयोगी हैं। लिखते रहिये।
बहुत प्रेरक!
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