बुधवार, 10 जून 2009

सूचना की ताकत कितनी असरकारी है

वह और उसका छोटा-सा पुराना ट्रांजिस्टर दोनों एक-दूसरे के पूरक थे। वह जहां भी होता था, वहां उसका यह ट्रांजिस्टर भी होता था। आज के जमाने में मुझे यह जोड़ी कुछ अजीब लगती थी, इसलिए एक दिन मैं पूछ ही बैठा।
उसने बताया कि इस ट्रांजिस्टर ने ही मुझे आईएएस बनाया है। मुझे समझाने के लिए उसने खुलासा किया कि दरअसल बात यह है कि मैं बचपन से ही न्यूज सुनने का आदी था। एक दिन मैंने रात के पौने नौ बजे की न्यूज में सुना कि अब आईएएस की परीक्षा हिंदी में भी दी जा सकती है। मैं था गांव का रहने वाला। अखबार आते नहीं थे। अंग्रेजी मुझे नहीं आती थी। यदि उस दिन मैं यह खबर नहीं सुन पाता, तो फिर मैं इसके लिए सोच भी नहीं सकता था।
आमतौर पर तो हम सभी को यही लगता है कि एक बड़ी उपलब्धि बड़ी बातों से मिलती है, लेकिन बड़ा सच तो यह है कि छोटी-छोटी बातें ही मिलकर बड़ी बनती हैं, बशर्ते हम उन छोटी बातों को पकड़ लें। दोस्तो! इस सच्ची कथा को सुनने के बाद मैंने तीन बातें हमेशा-हमेशा के लिए अपनी गांठ में बांध लीं। पहली बात तो यह कि जिंदगी में कभी भी सूचनाओं की उपेक्षा नहीं करूंगा।
न जाने कौन सी सूचना जिंदगी को बदल देने वाली सिद्ध हो जाए। हो सकता है कि एक सूचना को खोने का अर्थ एक सफलता को खोना ही हो। दूसरे यह कि अच्छी चीजों को जीवन की आदत बनाऊंगा, जैसा कि उसने समाचार सुनने को बनाया था। और तीसरी तथा आखिरी बात यह है कि जितना भी मेरी जिंदगी को बनाने और बढ़ाने में योगदान रहा है, मैं उन्हें हमेशा याद रखूंगा, जैसा कि मेरा वह मित्र ट्रांजिस्टर के साथ करता है।

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